दोस्तों,
शायरी सागर में आप सभी का दिल से स्वागत है। यह तो पक्की बात है कि अच्छे गीत, ग़ज़ल, कविताएं,शेर सभी लोगों को पसंद आते हैं। अच्छी शायरी भी दिल को छू लेती है।
इसीलिए मैं कहता हूँ कि शायरी सीख ही लो।
हुनर है शायरी भी सीख लो मेरे यारो
इल्म के दम से ही दिल में मुकाम बनता है
शायरी सीखना आसान है बशर्ते अगर दिल में सीखने की चाहत है।
दोस्तों, आगे बढ़ने से पहले मैं आप सभी लोगों के शायरी के प्रति प्यार और समर्पण के लिये बहुत बहुत धन्यवाद देता हूँ। अपने भारत वर्ष, अमेरिका,जर्मनी,पोलैंड,सिंगापुर,फिलिप्पीन, बहरैन इत्यादि मुल्क के लोग मेरे ब्लॉग से जुड़ रहे हैं यह बड़ी खुशी की बात है। आप सभी लोगों का मैं तहे दिल से शुक्र -गुजार हूँ।
दोस्तों, मेरा मानना है कि शायरी की जुबान आम जुबान होनी चाहिए। बहुत कठिन शब्दों में लिखी या सुनाई गई शायरी सिर्फ चंद लोगों के ही पल्ले पड़ती है और हमेशा आम आदमी को पसंद नहीं आती। शायरी के लफ़्ज सरल आम तौर बोले जाने वाले होने चाहिए। बहुत से शायर उर्दू,फारसी, अरबी के बहुत कठिन शब्दों का प्रयोग करते है जिससे उनकी बात सबकी समझ में नहीं आती।
दोस्तों, आप अगर शायरी का शौक रखते हैं तो बड़े बड़े मशहूर शायरों की शायरी पढिये,खूब पढिये।
अगर है शौक लिखने का तो पढना भी ज़रूरी है
अगर मंज़िल को पाना है तो चलना भी जरूरी है
हमारी जिंदगी में हमारा पाला जब गम से पड़ता है तब हमारी शायरी में उसका जबर्दस्त असर दिखाई देता है। इस पर मैंने एक शेर लिखा----
पीर जब दिल से उभर कर शायरी में आ गई
शेर के ही शक़्ल में सबके दिलों पर छा गई
मैं शायरी लिखने के शौक रखने वालों के लिए कुछ टिप्स देना चाहता हूँ। शेर लिखने के लिए सबसे पहली बात एक ख़याल होना चाहिए, जिसके आधार पर शायरी बनती है। मैं अपने ख़याल को शेर का रूप देने के लिए कुछ इस तरह से प्रयास करता हूँ।
मान लीजिए मेरे मन में एक विचार(ख़याल) आया और उसे मैं एक शेर का रूप देना चाहते हूँ। जैसे एक विचार आया कि जो लोग बिखर कर फिर अपने आप को सँवार लेते हैं वे अपनी योग्यता से एक दिन अवश्य सफल हो जाते हैं।
मैंने इसी ख़याल पर एक शेर लिखने की कोशिस की --
बिखर कर जो सँवरते हैं
वही कुछ कर गुजरते हैं
यह एक छोटा और सम तुकांत शेर है।
मैने अपने एक दूसरे ख़याल को भी शेर का रूप दिया।
ख़ुशी या ग़म का रिश्ता दिल से होता है बड़ा गहरा
लिखी जाती है उम्दा शायरी दिल की सियाही से
एक शेर अलग मिज़ाज का भी बन गया।
हुनर है हौसला कुछ कर दिखाने की तमन्ना है
फ़लक को अब जमीं के पास लाने की तमन्ना है
दोस्तों,इस दुनिया में सबसे खूबसूरत और पवित्र रिश्ता माँ
का होता है। माँ पर कई शायरों ने अच्छे अच्छे शेर लिखे हैं।मैने एक शेर लिखा----
जितना भी लिखूँ कम है अब उसकी शान में
माँ के समान कोई नहीं इस जहान में
दो शेर वफ़ा के नाम
कड़े मौसम कठिन हालात में उसको जवाँ देखा
वफ़ा वो फूल है जिसकी कभी खुशबू नहीं जाती
उनकी यादें हैं वफ़ादार बसी हैं दिल में
कौन कहता है वफ़ा है नहीं जमाने मे
(मेरी ग़ज़ल का एक शेर)
मैंने एक ख़याल के आधार एक शेर लिखना चाहा---
मेरा जीना उसने बार बार दुश्वार कर दिया
एक ज़ख्म पर फिर से उसने वार कर दिया
इस शेर को लिखने पर कहन(लय) सही नहीं लगी। इसी तरह शेर भी कुछ बिखरा लग रहा था। मैंने शब्दों की जगह बदली और नए शब्द लेकर शेर को इस प्रकार लिख दिया।
उसने मेरा जीना बड़ा दुश्वार कर दिया
ताजा था ज़ख्म फिर से वहीं वार कर दिया
एक शेर इस तरह का भी देखिए------
मुझे रुसवा करो बेशक़ यहाँ सारे जमाने में
कहीं इल्ज़ाम तुम पर यूँ न आ जाए फ़साने में
मेरा एक शेर गाँव के लिए....
शहर में हूँ मगर देहात की खुशबू है साँसों में
कदम रुकते नहीं जब गाँव की माटी बुलाती है
मुक्तक--
जब तके कदम रुके रहे तब तेज थी हवा
नज़रें उठी जब उसकी तूफान रुक गया
एक पैतरे के साथ ही बिजली चमक उठी
उसने उड़ान ली तो आसमान झुक गया
हमे गम की घटाओं के अँधेरे क्या डरायेंगे
छटेंगे दुःख भरे बादल, सितारे मुस्करायेंगे
सलीके से चले हैं हौसले का थाम कर दामन
यक़ीनन कामयाबी का नया गुलशन सजायेंगे
भाप बन पानी उड़े आकाश में
जल मिला बादल भी इतराते रहे
पवन,सूरज,सिंधु,नदियों की कृपा
लोग बरखा के ही गुण गाते रहे
आदमी बस ढूँढ़ता है, एक शुकूँ की ज़िन्दगी,
सिर्फ दौलत ही नहीं, सब कुछ है इस संसार में l
हसरतें पूरी हो सब, यह तो कभी मुमकिन नहीं,
हर ख़ुशी बिकती नहीं, दुनिया के इस बाजार में !
एक शेर सियासत पर---
बुझ चुकी है आग फिर भी उठ रहा है ये धुआँ
कुछ छिपी चिनगारियों को भी बुझाना चाहिए
एक मुक्तक नजर है------
हमारी ज़िन्दगी में याद की अपनी अहमियत है,
कभी वे इक महकती, खुशनुमा अहसास होती हैं
सिमटकर वह भिगाती हैं कभी मासूम पलकों कों,
नहीं मिटती हमारे मन से, दिल के पास होती हैं
हरिशंकर पाण्डेय
ऐसे कई शेर मुक्तक मैं अपने ब्लॉग पेज पर पोस्ट कर चुका हूँ। शेर में शब्दों का क्रम, कहन(लय) के अनुसार होना चाहिए। जब आप बार बार शेर लिखने लगते हैं तो कहन का अभ्यास होने लगता है। शेर लिखने के बाद उसे गुनगुना कर पढ़ना चाहिए। गुनगुनाते समय यदि लय सही लगे तो समझ लीजिए कि शेर का कहन सही है। शेर अर्थपूर्ण भी होने चाहिए।एक महत्वपूर्ण बात , शेर लिखने के बाद अपने मित्रों या जानकारों को अवश्य सुनायें। आप यदि किसी शायर से परिचित हैं तो उनका मार्गदर्शन,सलाह भी लें। अभ्यास (रियाज़) बहुत जरूरी है।
बड़े शायरों के शेर पढ़ने से ही शेर लिखने और कहन में लिखने का धीरे धीरे अनुभव मिलने लगता है। पहले छोटे शेर लिखने का प्रयास करें और बाद में बड़े शेर भी लिखे जा सकते हैं।
शेर भी अलग अलग विषय पर लिखे जा सकते हैं।
मोहब्बत,ग़म,तारीफ,जुदाई,सन्देशात्मक,प्रेरणादायक,सौंदर्य,
सुविचार इत्यादि को मद्देनजर रखकर शेर रचे जाते हैं।हर शायर के लिखने अपना अंदाज़ होता है।
यदि आप शायरी का शौक रखते हैं तो सभी अच्छे शायरों को पढ़ते रहिये और अपनी कलम को चलाते रहिये।
यदि आपने लिखना जारी रक्खा तो आपकी शायरी में निखार आता जाएगा। इसलिए सुनना, पढ़ना और लिखना जारी रखें।
आप मेरे ब्लॉग पर अपनी राय अवश्य दें।यदि आप कोई शेर लिखते हैं उसे भी कमेंट पर पोस्ट करें। आपकी लेखन से संबंधित कोई समस्या हो तो अवश्य लिखें।
मेरी अन्य रचनाएँ ' यादों की अहमियत--ताज़ातरीन शेर ग़ज़ल, मुक्तक ,शेरो शायरी बहार, ग़ज़ल बहार, गम की शायरी,ग़ज़ल की दुनिया, प्रेरणादायक शेर और मुक्तक,ग़ज़ल की बह्र(बहरें), फूलों से ज़ख्म,हुनर है शायरी भी सीख लो........
इत्यादि अलग अलग पेज पर पोस्ट किए गए हैं। आप सभी लोगों से जुड़ना मेरे लिए भी एक अत्यंत आनंददायी अनुभूति है!
कुछ और टिप्स अगले लेख में----
हरिशंकर पाण्डेय-- 9967690881
hppandey59@gmail.com