दर्द देने वाले दवा दे रहे हैं
जीने की मुझको दुआ दे रहे हैं
दर्द भी इश्क़ की खुशियों पे फ़िदा होता है
ये ऐसी क़ैद है जिसमें रिहाई भी नहीं होती
दर्द जब दिल का रुलाई से पिघल जाता है
अश्क़ की शक़्ल में आँखों से निकल आता है
गर्दिश ए ज़िन्दगी ने यूँ बदल दिया मुझको
लोग कहते हैं कि मुझमें गुरुर आया है
उसने मेरा जीना बड़ा दुश्वार कर दिया
ताजा था मेरा ज़ख्म वहीं वार कर दिया
कभी मजबूरियाॅ॑ भी रोकती हैं पेश कदमी से
वफ़ा जब दर्द की दहलीज़ पर लाचार होती है
हरिशंकर पाण्डेय "सुमित"
मैं ग़मो को आजमाते चल रहा हूँ
दर्द से आँखें मिलाते चल रहा हूँ
@हरिशंकर पाण्डेय 'सुमित'
ये तारे चाँद के सँग,छिप गये जाने कहाँ जाकर,
फलक खामोश है, ये रात भी बेजान लगती है!
तुम्हारे बिन, मुकद्दर के सितारे बन गये जालिम,
ये पूरी जिंदगी टूटा हुआ अरमान लगती है!!
किसी को दर्द ने बख्शा नहीं ज़माने में
ग़मो का है बड़ा क़िरदार हर फ़साने में
दर्द जब दिल का रुलाई से पिघल जाता है
अश्क़ की शक्ल में आँखों से निकल आता है
Harishankar Pandey
हमसे हुए वो दूर क्या अब हम बिखर गए
आंखों में बेशुमार मेरे अश्क भर गए
सब लोग मेरे ज़ख्म ढूंढते रहे मगर
हम अपने दर्द से ही कई बार मर गए
अनिल कुमार राही
बने थे हमसफर हम और दिल से आशनाई की
ख़ता हमसे हुई क्या वक्त ने फिर बेवफाई की
हमें उनकी वफ़ा पर था भरोसा ख़ुद से भी ज़्यादा
मगर बेबस हुए तकदीर ने जब बेवफ़ाई की
हरिशंकर पाण्डेय "सुमित "
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