गुरुवार, 24 मई 2018

दर्द शायरी











दर्द  देने  वाले  दवा  दे  रहे  हैं
जीने की मुझको दुआ दे रहे हैं

दर्द भी  इश्क़ की  खुशियों पे   फ़िदा होता है

ये ऐसी क़ैद है  जिसमें  रिहाई भी  नहीं होती

दर्द  जब  दिल का  रुलाई से  पिघल जाता है
अश्क़ की शक़्ल में आँखों से निकल आता है

गर्दिश ए ज़िन्दगी ने यूँ बदल दिया मुझको
लोग  कहते  हैं  कि  मुझमें  गुरुर  आया है

उसने मेरा जीना बड़ा दुश्वार  कर  दिया
ताजा था मेरा ज़ख्म वहीं वार कर दिया

कभी मजबूरियाॅ॑ भी रोकती हैं पेश कदमी से
वफ़ा जब दर्द की दहलीज़ पर लाचार होती है

हरिशंकर पाण्डेय "सुमित"

मैं  ग़मो को आजमाते चल रहा हूँ
दर्द  से  आँखें मिलाते चल रहा हूँ

@हरिशंकर पाण्डेय 'सुमित'


ये तारे चाँद के सँग,छिप गये जाने कहाँ  जाकर, 
फलक खामोश है, ये रात भी  बेजान  लगती है! 
तुम्हारे बिन, मुकद्दर के सितारे बन गये  जालिम,
ये पूरी  जिंदगी  टूटा  हुआ  अरमान  लगती है!!
  

किसी  को दर्द ने बख्शा नहीं ज़माने में

ग़मो का है  बड़ा क़िरदार हर फ़साने में

दर्द जब  दिल का  रुलाई से  पिघल जाता है
अश्क़ की शक्ल में आँखों से निकल आता है

Harishankar Pandey

हमसे हुए वो दूर क्या अब हम बिखर गए
आंखों  में  बेशुमार   मेरे  अश्क  भर  गए
सब  लोग   मेरे  ज़ख्म   ढूंढते   रहे   मगर
हम  अपने  दर्द  से  ही  कई  बार  मर गए

 अनिल कुमार राही

बने थे हमसफर हम और दिल से आशनाई की
ख़ता हमसे हुई क्या  वक्त  ने फिर बेवफाई की

                     हरिशंकर पाण्डेय 'सुमित'


हमें  उनकी  वफ़ा  पर था भरोसा ख़ुद से भी ज़्यादा
मगर   बेबस  हुए   तकदीर  ने   जब   बेवफ़ाई  की
हरिशंकर पाण्डेय   "सुमित "    

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