बिना प्यार के दर्द मिलता नहीं है
बिना खार गुलशन निखरता नहीं है
हरिशंकर पाण्डेय
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तेरी कोशिश है ज़िंदगी अगर रुलाने की
मेरी आदत भी बन गई है मुस्कुराने की
हरिशंकर पाण्डेय
मेरे छालों का लहू भी बहुत अज़ीज़ लगा
दर्द की राह से मंज़िल मिली निहाल हुए
हरिशंकर पाण्डेय
हक है जहाॅ॑ ... वहाॅ॑ नफ़रत कहाॅ॑ है
शिकवे वहीं है ...मोहब्बत जहाॅ॑ है
हरिशंकर पाण्डेय
हो मंज़िल दूर पर मैंने भी रुक जाना नहीं सीखा
मेरे छालों ने दर्द ए ग़म में झुक जाना नहीं सीखा
हरिशंकर पाण्डेय
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