शुक्रवार, 24 अक्टूबर 2025

शेर ओ शायरी

दुआओं का ऐसा असर हमने देखा 
नयी  बन गई  हाथ  में  भाग्य रेखा 
हरिशंकर 

कीमत  किसी भी  चीज की  होती बहुत बड़ी 
पाने के पहले और  फिर  खो जाये जिस घड़ी
हरिशंकर


शनिवार, 11 अक्टूबर 2025

शेर ओ शायरी

बिना  प्यार के  दर्द  मिलता  नहीं है 
बिना खार गुलशन निखरता नहीं है
हरिशंकर पाण्डेय 

.....
तेरी कोशिश है ज़िंदगी   अगर रुलाने की
मेरी आदत भी बन गई है    मुस्कुराने की
हरिशंकर पाण्डेय

मेरे छालों का  लहू भी बहुत अज़ीज़ लगा
दर्द की राह से मंज़िल मिली निहाल  हुए 
हरिशंकर पाण्डेय

हक है जहाॅ॑ ... वहाॅ॑ नफ़रत कहाॅ॑ है
शिकवे  वहीं है ...मोहब्बत  जहाॅ॑ है
हरिशंकर पाण्डेय 

हो मंज़िल दूर  पर मैंने भी रुक जाना नहीं सीखा
मेरे छालों ने दर्द ए ग़म में झुक जाना नहीं सीखा
हरिशंकर पाण्डेय

मंगलवार, 2 जनवरी 2024

शेर ओ शायरी

किसी भी हाल में अपने हुनर को  ज़िंदा रख
दिखा  दे  नूर  ए  इल्म  देखे   ज़माना  सारा
हरिशंकर पाण्डेय

बुधवार, 27 दिसंबर 2023

शेर ओ शायरी.....
तेरी कोशिश है ज़िंदगी   अगर रुलाने की
मेरी आदत भी बन गई है    मुस्कुराने की
हरिशंकर पाण्डेय

सोमवार, 28 मार्च 2022

शेर ओ शायरी

चले थे  राह में  मंज़िल  का  पता  भूल  गए
पहुंच  के दर पे भी अफ़सोस दरबदर ही रहे
हरिशंकर पाण्डेय

मंगलवार, 30 अप्रैल 2019

माॅ॑ पर बेहतरीन शायरी

माॅ॑ पर खूबसूरत शायरी


माॅ॑ के चरणों में रख अपना सर देखिए

छू के जन्नत को  आला  असर  देखिए

हरिशंकर पाण्डेय "सुमित" 


तू  खैरियत न  पूछ  मेरी   सुन ये  लाड़ले

बस दिन में एक बार अपना  हाल सुना दे


माॅ॑  मांगती  नहीं  कुछ  औलाद  से कभी

बस उसकी खैरियत की  तलबगार रही है

सुमित


ख़ुदा  का  ही करिश्मा है  इनायत है  जो  माॅ॑  दे दी
मिला अनमोल  यह रिश्ता हमें  जन्नत अता कर दी


हरिशंकर पाण्डेय  "सुमित"


माॅ॑  से बड़ा जग में रिश्ता नहीं है

पिता जैसा कोई फरिश्ता नहीं है

हरिशंकर पाण्डेय

शायरी इश्क़ की हो  दाद तो मिल जाती है 

ज़िक्र माॅ॑ का हो बात दिल में उतर जाती है

हरिशंकर पाण्डेय "सुमित"


बची थी आखरी रोटी   खिला दी  लाड़ले को ही

किसी भी हाल में माॅ॑ लाल को भूखा नहीं रखती

हरिशंकर पाण्डेय



माॅ॑ के हाथों की रोटियों में  बड़ी लज्जत थी
किसी निवाले में अब  वह  मज़ा नहीं आता

" सुमित"

माता-पिता बुजुर्ग से  हर घर की शान है
सम्मान उनका  राम  की पूजा  समान है

हरिशंकर पाण्डेय 'सुमित'

जितना भी लिखें कम है अब उसकी शान में
माॅ॑  के  समान   कोई   नहीं   इस   जहान  में

हरिशंकर पाण्डेय


वह माॅ॑गती  है  सब  कुछ औलाद के लिए
खुद के लिए उसकी कोई मन्नत नहीं होती
बच्चों  को  पालती  है  ममता की  छाॅ॑व में
माॅ॑  से  बड़ी  जहान  में ज़न्नत  नहीं  होती

हरिशंकर पाण्डेय 'सुमित'

Shayari Saagar

मशहूर दिलकश हर रंग की शायरी

दोस्तों,  सजा कर  शायरी की इक नई सौगात  लाया  हूॅ॑ खुशी और ग़म के सारे रंग और हालात लाया हूॅ॑ किताब ए जिंदगी  से पेश हैं...