सोमवार, 28 मार्च 2022

शेर ओ शायरी

चले थे  राह में  मंज़िल  का  पता  भूल  गए
पहुंच  के दर पे भी अफ़सोस दरबदर ही रहे
हरिशंकर पाण्डेय

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