परवाज़ हौंसले की पाकर,जांबाज़ कहाँ रुक पाता है
जो इन्कलाब का नारा दे , कुर्बान जवानी कर डाले,
आज़ादी का मकसद लेकर, वह भगत सिंह बन जाता है
देश प्रेम की प्रबल भावना क्रांतिवीर बलवान बने।
थे युवा निडर त्यागी योद्धा भारतमाता की शान बने।
जनरल डायर ने बाग जालिया में गोली चलवाई थी।
कई देशभक्तों ने उसमें अपनी जान गंवायी थी।
रक्तसनी मिट्टी देखी गुस्से से तन- मन भर आया।
भगत सिंह की आँखों में बदले का लहू उतर आया।
ली कसम ब्रिटिश सत्ता को जड़ से नष्ट ध्वस्त कर डालेंगे।
जब तक आजाद न हो - भारत माँ साँस चैन की ना लेंगे।
22 की उम्र जवानी में निज स्वार्थ सुखों का त्याग किया।
था उसे वतन सबसे प्यारा बढ़ क्रान्ति युद्ध मे भाग लिया।
राजगुरू, सुखदेव, चंद्रशेखर से हाँथ मिलाया था।
आजादी का मतवालों ने सच्चा संकल्प उठाया था।
क्रांति वीर बनकर उसने अँग्रेजों को ललकारा था।
लाला पर हमले का बदला पापी स्कॉट को मारा था।
असेम्बली में बम फेंका, गोरों में हाहाकार किया।
खड़ा रहा तन कर नाहर,अपनी करनी स्वीकार किया।
जान किसी की लेने का उसका तो नहीं इरादा था।
बस इंक़लाब की ताक़त को दिखलाने पर आमादा था।
तब मची खलबली गोरों में सब इधर उधर भागे सारे।
सीना ताने वह खड़ा रहा भरकर आँखों मे अंगारे।
जेल , सजा, फाँसी का डर सारी बातें बेमानी थी।
आजादी का सच्चा सपना देखा बस यही कहानी थी।
फाँसी का फंदा चूम लिया आजादी का मतवाला था।
अमर हुआ सबके दिल में इतिहास नया रच डाला था।
हरिशंकर पाण्डेय 'सुमित'
***************************************
हमारे प्यारे भारतीय नौजवानों के लिए कुछ पंक्तियां
सभी को मौत का है खौ़फ, अपनी जान प्यारी है !
मगर ज़ांबाज वीरों को, वतन की शान प्यारी है!
फ़ना होने का डर , मन में कभी इनके नही आता,
हमेशा " मौत के साये " में इनकी " पहरेदारी" है!!
मोहब्बत है वतन से ये, कभी पीछे नहीं हटते,
हमेशा सरहदों पर जान की बाजी लगाते हैं!
हिफाज़त में वतन की,हैं खड़े हर पल ये चौकन्ने,
नहीं डर है इन्हे ये " मौत से आँखे लड़ाते हैं।"
हजारों फिट की ऊँचाई, जहाँ जीना ही मुश्किल है,
वहां जांबाज़ बढ़ कर जंग में जलवा दिखाते हैं।
डटे रहते हैं , बर्फीली हवा के बीच रातों में,
निभाते फर्ज़ हैं वो," हम शुकूं की नींद पाते हैं।"
जय हिंद,जय जवान
हरिशंकर पाण्डेय 'सुमित'
थे युवा निडर त्यागी योद्धा भारतमाता की शान बने।
जनरल डायर ने बाग जालिया में गोली चलवाई थी।
कई देशभक्तों ने उसमें अपनी जान गंवायी थी।
रक्तसनी मिट्टी देखी गुस्से से तन- मन भर आया।
भगत सिंह की आँखों में बदले का लहू उतर आया।
ली कसम ब्रिटिश सत्ता को जड़ से नष्ट ध्वस्त कर डालेंगे।
जब तक आजाद न हो - भारत माँ साँस चैन की ना लेंगे।
22 की उम्र जवानी में निज स्वार्थ सुखों का त्याग किया।
था उसे वतन सबसे प्यारा बढ़ क्रान्ति युद्ध मे भाग लिया।
राजगुरू, सुखदेव, चंद्रशेखर से हाँथ मिलाया था।
आजादी का मतवालों ने सच्चा संकल्प उठाया था।
क्रांति वीर बनकर उसने अँग्रेजों को ललकारा था।
लाला पर हमले का बदला पापी स्कॉट को मारा था।
असेम्बली में बम फेंका, गोरों में हाहाकार किया।
खड़ा रहा तन कर नाहर,अपनी करनी स्वीकार किया।
जान किसी की लेने का उसका तो नहीं इरादा था।
बस इंक़लाब की ताक़त को दिखलाने पर आमादा था।
तब मची खलबली गोरों में सब इधर उधर भागे सारे।
सीना ताने वह खड़ा रहा भरकर आँखों मे अंगारे।
जेल , सजा, फाँसी का डर सारी बातें बेमानी थी।
आजादी का सच्चा सपना देखा बस यही कहानी थी।
फाँसी का फंदा चूम लिया आजादी का मतवाला था।
अमर हुआ सबके दिल में इतिहास नया रच डाला था।
हरिशंकर पाण्डेय 'सुमित'
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हमारे प्यारे भारतीय नौजवानों के लिए कुछ पंक्तियां
सभी को मौत का है खौ़फ, अपनी जान प्यारी है !
मगर ज़ांबाज वीरों को, वतन की शान प्यारी है!
फ़ना होने का डर , मन में कभी इनके नही आता,
हमेशा " मौत के साये " में इनकी " पहरेदारी" है!!
मोहब्बत है वतन से ये, कभी पीछे नहीं हटते,
हमेशा सरहदों पर जान की बाजी लगाते हैं!
हिफाज़त में वतन की,हैं खड़े हर पल ये चौकन्ने,
नहीं डर है इन्हे ये " मौत से आँखे लड़ाते हैं।"
हजारों फिट की ऊँचाई, जहाँ जीना ही मुश्किल है,
वहां जांबाज़ बढ़ कर जंग में जलवा दिखाते हैं।
डटे रहते हैं , बर्फीली हवा के बीच रातों में,
निभाते फर्ज़ हैं वो," हम शुकूं की नींद पाते हैं।"
जय हिंद,जय जवान
हरिशंकर पाण्डेय 'सुमित'
3 टिप्पणियां:
Awesome written with lots of love for our nation. Thanks a lot for sharing.
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Karan ji hardik dhanyavad
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